एक चोट दिल पर गहरी लगा गई
मानो मौत की सजा सुनाई गई
यह सच है कि यह जख्म आप कभी भरेगा नहीं
दिल चाह कर भी किसी से प्यार करेगा नहीं
हां तेरे जाने से दुनिया बेगानी लगती है
मेरी दास्तां सुनने वालों को यह पकडते कहानी लगती है
जख्म अभी गहरा है ताजा है
रहेगा हमेशा देखने वालों को मेरी चोट की पुरानी लगती है ऐसा कोई दिन कोई वक्त कोई पल नहीं जाता जिस्म तेरा ख्याल नहीं आता नींद जैसे कोई दुश्मनी सी हो गई है सीने में सांसों की कमी से हो गई कोई और का तुझे सोचकर पल-पल मरता रहता हूं
नजमे लिखता हूं और रात भर पढ़ता रहता हु कभी मेरी यादों से तेरी आजादी हो जाए किसी और से तेरी शादी हो जाए तो मेरे इश्क का दाम देना अपने बेटे को मेरा नाम देना
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