Jindagi Apna Safar Tay to Karegi Lekin

 ज़िंदगी अपना सफ़र तय तो करेगी लेकिन 


हम-सफ़र आप जो होते तो मज़ा और ही था

Jindagi Apna Safar Tay to Karegi Lekin Humsafar Aap Jo Hote maja 

ज़िंदगी अपना सफ़र तय तो करेगी लेकिन
हम-सफ़र आप जो होते तो मज़ा और ही था

काबा ओ दैर में अब ढूँड रही है दुनिया
जो दिल ओ जान में बस्ता था ख़ुदा और ही था

अब ये आलम है कि दौलत का नशा तारी है
जो कभी इश्क़ ने बख़्शा था नशा और ही था

दूर से यूँही लगा था कि बहुत दूरी है
जब क़रीब आए तो जाना कि गिला और ही था

मेरे दिल ने तो तुझे और ही दस्तक दी थी
तू ने ऐ जान जो समझा जो सुना और ही था

Post a Comment

0 Comments